दर्द की वो तस्वीर आज उजागर हो गई ,
लौट गया बचपन जवानी शिखर हो गई ।
दिन वो आया वापस मेरे ज़ख़्म कुरेद ने,
लेके इतिहास में जो मेरी कहानी हो गई ।
लम्हे थे जुदाई के जहा ज़िन्दगी खड़ी थी,
सोच कर वो बाते अजीब हालत हो गई।
हाथ छूट रहा था मेरा मेरे अपनो से,
चार दीवारी मे फिर साँसे कैद हो गई ।
फिर भी मिला था ऐसा जिस की उम्मीद नही थी, पांच साल मै वो ही ज़िन्दगी जन्नत हो गई ।
रोकना था मंजर वो आँखो मैं मुझे राधे,
मगर बदकिस्मती से यादे आंसू हो गई ।
-राधेय