हेलो दोस्तो , आज हम ऐसे साहित्यकार का साक्षात्कार करने वाले है जिन्होंने हाल ही मैं हिंदी साहित्य जगत मैं अपनी प्रथम पेपरबैक किताब कालकलंक से कदम रखा है पर लेखन मैं वे नए नही है प्रतिलिपि एवं मातृभारती जैसी ईबुक वेबसाइट पर अपनी लेखनी का जादू चला चुके है। जिन्होंने वो कौन थी, चीस, जिन्नात की दुल्हन,मिन्नी, नरकंकाल, दास्तान और मुर्दाघर जैसे शानदार गुजराती होरर उपन्यासों से पाठकों का दिल जीता है उन्हें गुजराती साहित्य जगत मैं होरर सम्राट तक कहा जाता है। जी हाँ हम बात कर रहे होरर किंग साबिर खान पठान जी की।
साबिर खान पठान जी ने संस्कृत के साथ अंबाजी आर्ट्स कॉलेज से ग्रेजुएशन करने वाले साबिर जी को शुरू से ही कहानियां लिखने-पढ़ने का शौक रहा है। कॉलेज के वक्त ही इनके हॉरर उपन्यास और कहानियां अखबार और मैगजीन में प्रकाशित होने लगी थी।
पंद्रह उपन्यास और बहुत सारी कहानियाँ लिखने के बाद वे फ्लाइड्रीम्स पब्लिकेशन्स से जुड़े है। काल-कलंक इनका पहला हिन्दी उपन्यास है। जो हाल मैं प्रकाशित हुआ है । मुसाफिर हिंदी ने उनका छोटा सा साक्षात्कार लिया है जहाँ उन्होंने अपने जीवन एवम अपनी किताब कालकलंक के बारे मैं बात की है ।
1.अपने बारे मे बताइये कहा से आप और और आपका थोड़ा परिचय दीजिए ?
उतर:
मैं साबिर खान पठान, मैंने
पाटन यूनिवर्सिटी से संस्कृत के साथ ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है। कॉलेज के वक्त से ही मुझे कहानियां पढ़ने और लिखने में काफी दिलचस्पी थी।
काफी वक्त से लेखन में ब्लॉक आ गया था।
पिछले चार साल से ऑनलाइन पोर्टल ने मुझे फिर से जिंदा कर दिया।
मेरे लेखन में ‘चीस'(चीख) कठपुतली, जिन्नात की दुल्हन, वह कौन थी, नर कंकाल, मुर्दाघर, कब्रिस्तान, कॉफिन, मिन्नी और काल-कलंक शामिल है।
2.. लेखन की शुरुआत कहाँ से हुई और आपको लेखन मैं रुचि कैसे जागी ?
उतर:
स्कूल में पढ़ता था तब से ही मुझे लेखन का शौक रहा है। खासकर के होरर स्टोरी में काफी दिलचस्पी थी। तो कहीं से भी बुक स्टॉल से हॉरर की किताबें ढूँढ कर ले आता और पढता।
कभी मजा आता कभी न भी आता। क्योंकि दिमाग जो दहशत की सनसनीखेज इंतहा चाहता था वह न मिलने पर नई किताबें ढूंढने निकल जाता।
3. आपकी अधिकतम नावेल हॉरर थीम पर लिखी गई है और आपको हॉरर सम्राट भी कहा जाता है तो क्या कोई विशेष लगाव है हॉरर से और होरर मैं ही क्यों अधिक रचना ?
उतर:
हॉरर कहानियों के प्रति अधिक लगाव है उसकी एक खास वजह थी। पापा जी के पास वह इल्म था कि वह बेमौत मरे कोई भी इंसान की रूह से बात कर सकते थे। पढ़ने लिखने के कारण मेरा दिमाग जरा ऐसी बातों को परखने के लिए तैयार रहता था।
जब भी वह किसी की हेल्प करने निकलते तो मैं हमेशा उनके साथ रहता था। मैं अपने तरीके से रूहानी ताकतों को परखने की कोशिश में लगा था।
बस फिर क्या था मेरी जिज्ञासा हमेशा बढ़ती रही।
जो कुछ भी देखा था जो कुछ भी समझा था वह रियल किस्सों को कहानियों में ढालता रहा। वह लोगों ने काफी सराहा।
मेरे ज्यादातर उपन्यास होरर है। और पाठकों ने कुछ हटके पढा, बस इतना समझ जानता हूँ। पाठकों का प्रेम ही है जिसने मुझे और भी बेहतर लिखने को उत्सुक किया है।
4 आप की नई किताब कालकलंक भी हॉरर है उनके बारे मे कुछ बताइये?
उतर:
सच कहूँ तो काल-कलंक मेरे दिल के करीब है। अघोरी का वह हाहाकारी किरदार ने तब जन्म लिया जब मैंने द ममी मूवी को देखने के बाद
मुझे लगा ऐसा कुछ धमाकेदार होना चाहिए।
फिर एक अलग ही किरदार में मेरे दिमाग में हलचल मचा कर रख दी। ताने-बाने दिमाग बुनता रहा। रोज रात को सोते वक्त काल कंलक के दृश्य मैं अपनी आँखों के सामने देखता था। और लिखता गया।
5 फ्लाई ड्रीम से आपकी काल-कलंक को पेपरबैक में प्रकाशित किया। तो प्रकाशन के साथ कैसा रहा अनुभव?
उतर:
फ्लाईड्रिम पब्लिकेशन के बारे मे देवेंद्र प्रसाद और रचना चावला जी ने बताया था। फिर मैंने काल कलंक को उन्हें भेज दिया। मेरी खुशकिस्मती है कि मिथिलेश जी और जयंत जी ने किताब को चुना। क्योंकि वे दो महारथीयों ने पब्लिकेशन की बागडोर संभाले हुए हैं जिसके कारण पब्लिकेशन का चारों तरफ बोलबाला है।
मैं अपनी खुशी को शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता।
बेहतर कवर डिजाइन, लेखकों के साथ दोस्तों जैसा लगाव, ऐसा लगा जैसे अभी भी मैं कोई सुनहरा ख्वाब देख रहा हूँ।
6 आने वाले लेखकों को क्या संदेशा देना चाहेंगे?
उतर:
नए राइटर्स को यही कहूंगा जिस जेनर में लिखना चाहते हो उसकी बहुत सारी किताबें पहले पढ़ ले। फिर आप का कथानक निखर उठेगा।
7 आपकी अन्य कौनसी नॉवेल आ रही है ?
उतर:
‘मंत्रा’ पर काम चल रहा है। मायाजाल अगला उपन्यास है। मिन्नी कंप्लीट होने वाली है और उसके बाद मिन्नी का सीक्वल प्लान करके बैठा हूँ।
इंतज़ार ख़तम, “साबिर खान” का बहुप्रतीक्षित हॉरर उपन्यास आज से पाठकों के लिए उपलब्ध;
एक अनदेखा रास्ता जो किसी प्राचीन मंदिर के तहखाने तक जाता था। आश्चर्य यह भी कि जिस भूकंप ने इंसानी घरौंदों को उजाड़ दिया, उससे मंदिर की मूर्ति का बाल भी बांका न हुआ।
अनजान तहखाने से आती रहस्यमयी टर्र-टर्र कीq आवाजों ने खोजकर्ता टेंसी और उसकी टीम को बरबस ही खींच लिया था।
आखिर क्या था रहस्य ?
समय के चक्र से छूटती कालिख और उससे तबाह होती ज़िंदगियों की रहस्यमयी कहानी है “काल कलंक”
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