तू नही आया सनम तेरा पैग़ाम आया था ,
तुझसे हुए जो दूर, तेरा ख्याल आया था।
रो के गुजार लेते है राते, दिन को कहा चैन आना था,
जो होना था हुआ , हिस्से मैं इंतजार आया था ।
वही बिखरे रहे किस्से जिसे सब प्यार कहते है ,
मेरी तो आशिक़ी का बस यही अंजाम आया था।
खुदा से पूछ बैठा तब कसूर मेरा बतादें तू ,
रहा खामोश वो भी बस,क्योकि यह सवाल आया था ।
हुए थे रूबरू दोनों हकीकत और सपने जब,
मेरे अंदर तो जज्बातो का एक सैलाब आया था ।
कागज भी रो रहा था गजल जब लिखी राधेय,
हस्ता हुआ वो चेहरा जब याद आया था।
– राधेय